Everything about shiv chalisa lyrics in english
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भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
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मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ- हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।